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दिलों में जान भरती दोस्ती।

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपके किसी खास दोस्त का कॉल आपको आया हो और आप व्यस्त हो? कुछ ऐसा ही अभिजीत के साथ हुआ। अभिजीत अपने डेस्क पर बैठे कॉफी पी रहा था लेकिन वह तुरंत उसके बाद मीटिंग पर जाने वाला था और उसे अपने सबसे अजीज़ दोस्तों में से एक शांतनु का कॉल आता है। अभिजीत कॉल को काटता है, वह सोचता है कि बाद में शिद्दत से बातचीत कर लूंगा।

रात के ९:१५ बजे अभिजीत घर पहुंचकर अपने काम में फिर से व्यस्त हो जाता है। उसे रात के १०:३० बजे एकबार फिर शांतनु का कॉल आता है, तब तक अभिजीत के दिमाग से शांतनु से बात करनी है ये बात बिल्कुल ही हट जाती है। अभिजीत फिर एक बार कॉल नहीं उठाता। रात में १२ बजे अभिजीत सोने के लिए जाता है, तब फिर से फोन की रिंग बजती है, शांतनु का नाम देखकर अभिजीत ने इस बार कॉल उठाता है। पहले शब्द में ही शांतनु की आवाज़ कुछ दबी दबी सी लग रही थी। अभिजीत समझ गया था कि कुछ बेहद गंभीर हुआ है, उसने शांतनु से धीरे धीरे बात करके उसके मसले को सुना।

शांतनु अंदर से टूटा था क्योंकि उसके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक उसका प्रेम था और वो अब उसके पास नहीं था। बेचैन, बेजान दिल को बस कोई सुनना चाहता था और वो अभिजीत था, जिसने उसे सुनकर उसकी आधी समस्या कम हुई थी।

इसलिए कभी कभी जिंदगी में मसला कोई भी हो पर अपने बेहद खास दोस्त को बताना एक सुकून होता है।

जैसा वसीम बरेलवी कहते है, दोस्ती शायद ऐसी ही खूबसूरत है,

"शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ

कीजे मुझे क़ुबूल मेरी हर कमी के साथ"!

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